मुझे अच्छे से याद है। बचपन में गांव में सोते वक्त मुझे कान में तेज दर्द होता था। दादी कान में तेल डाल देती थीं। मैं भी दर्द और यक़ीन दोनों के साथ सो जाता था कि दादी का वह तेल पेन किलर ही बनेगा। बहरहाल, वक्त गुज़रा और मैं बड़ा हुआ तो पता लगा- यह एक मिथ था। डॉक्टर कान में तेल डालने को तो बिल्कुल भी पसन्द नहीं करते। यह भी मैंने तब ही नोटिस किया कि ऐसा अक्सर सर्दियों (Ear pain in winter) में ही होता था।
अपनी निजी कहानी मैंने इसलिए कही क्योंकि आज हम उसी सवाल का जवाब देने जा रहे हैं कि कान का दर्द सर्दियों में (Ear pain in winter) ज़्यादा क्यों हो जाता है और कान में तेल डालना या कुछ भी, बिना डॉक्टरी परामर्श के क्यों ग़लत है।
हमने कान के दर्द विशेषकर सर्दियों में कान के दर्द के कारणों को जानने के लिए कान,नाक और गला रोग विशेषज्ञ (ENT Specialist) और वर्तमान में मैक्स हॉस्पिटल नोएडा में कार्यरत डॉक्टर अनूप राज से बात की, तो उन्होंने हमें कुछ कारण बताए।
डॉक्टर के अनुसार, कान दर्द के बहुत से कारक और कारण होते हैं, लेकिन सर्दियों में जुकाम बहुत बड़ी वजह है, जिससे लोग कान दर्द से पीड़ित होते हैं।
दरअसल, हमारे सिर में यूस्टेशियन ट्यूब होती है जो गले के ऊपरी हिस्से और कान को जोड़ती है। इसका काम होता है अतिरिक्त हवा के दबाव और किसी भी प्रकार के तरल पदार्थ (Fluid) को कान तक आने से रोकना। जब आपको जुकाम या यूं कहें सर्दी होती है, तो आपके नाक का फ्लूइड यूस्टेशियन ट्यूब को जाम कर देता है। इस ट्यूब के जाम होने की वजह से ही आपको कान में दर्द (Ear pain in winter) होता है और कई बार कान बहने भी लगता है।
कई बार कान का दर्द आपके जुकाम के ठीक होते ही ठीक भी हो सकता है और कई बार यह और भी कई इन्फेक्शन का कारण भी बन सकता है।
यह इंफेक्शन भी सर्दियों में कान के दर्द का आम कारण है। ये इंफेक्शन तब जन्म लेता है जब उसी यूस्टेशियन ट्यूब(गले के ऊपरी हिस्से से कान को कनेक्ट करने वाली ट्यूब) के जरिये जुकाम के वायरस आपके नाक और गले से होते हुए आपके कान तक पहुंच जाते हैं। यही वायरस फिर आपके अंदरूनी हिस्से में फ्लूइड बनाते हैं।
फ्लूइड के ज़रिए, बैक्टीरिया का जन्म होता है और उसके बाद कान में दर्द तो शुरू ही हो सकता है लेकिन उसके साथ साथ कान में सूजन,सुनने में कठिनाई और कान बहने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। यहां तक कि आपको बुखार तक से भी जूझना पड़ सकता है।
यह मिडल इंफेक्शन से एक कदम आगे का ख़तरा है जिसकी वजह से आपका कान दर्द हो सकता है। यह तब होता है जब आपका जुकाम कई दिनों तक रह जाए। इस इन्फेक्शन के बाद आपके कानों में दर्द के साथ प्रेशर भी बना रह सकता है। इसका मतलब यह है कि आपकी नाक और गले का फ्लूइड ज़्यादा मात्रा में आपकी कानों तक पहुंच चुका है। इसके बाद आपके कान में दर्द (Ear pain in winter), कान का बहना, सांस फूलना और दांत दर्द की समस्या भी हो सकती है।
यह कोई ज़रूरी नहीं कि सर्दियों में ही कान दुखते हैं,इसलिए बाकी कारण भी बताने ज़रूरी हैं जो कभी कभी हमारी खुद की लापरवाही से भी जन्म लेते हैं।
1. बच्चे हों या बड़े, दोनों के कान ढंके। ठंडी और तेज़ हवा अक्सर कान दर्द का कारण बन जाती है।
2. नहाते समय कान के अंदर पानी घुस जाना बहुत बार होता है। खास कर बच्चों के। आपको इस बात का ख्याल रखना है कि ऐसा ना होने पाए।
3. सर्दी-जुकाम से बचने के हर जतन करिए। कोई इंफेक्शन या टेम्परेचर का गिरना आपको जुकाम की जद में ले जा सकता है और हमने अभी पढ़ा ही कि जुकाम भी कान दर्द का एक बड़ा कारण है।
4. कान को साफ रखें लेकिन सफाई के चक्कर में नुकीली चीज़ें कान में डालने से बचिए। आपकी ये छोटी सी हरकत कान का बड़ा नुक़सान कर सकती है।
एक साफ कपड़े को गर्म पानी में भिगोकर निचोड़ लीजिये और उससे कान के चारों ओर हल्के हल्के सेंकिए। ये कानों की सूजन कम करेगा और दर्द (How to avoid ear pain in winter) से राहत देगा।
लहसुन की 2-3 कलियों को सरसों के तेल में गर्म करके ठंडा होने के बाद कान के चारो ओर बाहर से हल्के हल्के लगाइए। लहसुन अपने एंटीबैक्टीरियल गुणों के कारण ऐसे दर्दों में मददगार है।
ताजी तुलसी की पत्तियों का रस निकालें और इसे कान के आसपास लगाएं। ये दर्द (Ear pain in winter home remedy) और इंफेक्शन को कम करेगा।
गर्म पानी से भाप लें। यह कान के अंदर जमा फ्लूइड (fluid) को ढीला करके निकालने में मदद करता है।
ध्यान रखिये, यह सब कान के बाहर-बाहर ही करना है। दर्द को कम करने के लिए किसी भी चीज़ को बिना डॉक्टरी सलाह के कान के अंदर डालने से बचना है। वरना वह कहावत तो है ही
“नीम हकीम,खतरा-ए-जान”
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