रतौंधी या नाइट ब्लाइंडनेस (Night Blindness) आंखों से जुड़ी एक दृष्टि समस्या है। आमतौर पर लोग रतौंधी को एक बीमारी मानते हैं। जबकि रतौंधी कोई बीमारी नहीं, बल्कि आंखों की एक समस्या का लक्षण है। रतौंधी से पीड़ित लोग आमतौर पर कम रोशनी वाली स्थिति में या रात में ठीक से नहीं देख पाते। रतौंधी का उपचार पूरी तरह से रतौंधी के मूल कारण पर निर्भर करता है।
व्यक्ति यदि कोई चीज़ देख पाता है, तो उसके लिए कोशिकाएं यानी ‘सेल्स’ जिम्मेदार होती हैं। वहीं, रतौंधी तब होती है जब आपकी रेटिना में मौजूद ‘रॉड सेल्स’ खराब हो जाते हैं। अंतर्निहित बीमारियों या दर्दनाक चोट सहित कई कारणों से ये ‘रॉड सेल्स’ ठीक से काम नहीं करती हैं या पूरी तरह से काम करना बंद कर सकती हैं। आमतौर पर व्यक्ति की आंखों में दो तरह के सेल्स होते हैं, जिन्हें ‘रॉड सेल्स’ और ‘कोन सेल्स’ कहा जाता है। ‘रॉड सेल्स’ व्यक्ति को अंधेरे में देखने की क्षमता प्रदान करते हैं। जबकि ‘कोन सेल्स’ व्यक्ति को रंग पहचानने में मदद करते हैं।
रतौंधी को आम भाषा में ‘नाइट ब्लाइंडनेस’ और मेडिकल टर्म्स में ‘निक्टालोपिया’ और ‘रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा’ भी कहा जाता है। रतौंधी से पीड़ित लोगों का विजन अंधेरा होते-होते या कम रोशनी में बहुत न्यूनतम स्तर तक पहुंच जाता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन्स के एक शोध में यह बताया गया है कि रतौंधी का मुख्य कारण ‘विटामिन ए’ की कमी होता है।
आमतौर पर इन चीजों को रतौंधी के कारणों के तौर पर देखा गया है –
1 विटामिन ए की कमी : यह रतौंधी के सबसे आम कारणों में से एक है। विटामिन ए रेटिना के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, और इसकी कमी से कम रोशनी की स्थिति में दृष्टि ख़राब हो सकती है।
2 कोशिकाओं का टूटना : कोशिकाओं का टूटना अक्सर जेनेटिक कारणों की वजह से होता है, कोशिकाओं के टूटने से व्यक्ति की देखने की शक्ति में धीरे-धीरे कमी आती है, जिसके कारण रतौंधी जैसी स्तिथि पैदा होती है।
3 मोतियाबिंद : आंख के प्राकृतिक लेंस (मोतियाबिंद) का धुंधलापन रतौंधी का कारण बन सकता है। मोतियाबिंद हटाने के लिए सर्जरी अक्सर सामान्य दृष्टि बहाल कर देती है।
4 ग्लूकोमा: आंख में बढ़ा हुआ दबाव ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान पहुंचा सकता है और रतौंधी का कारण बन सकता है।
5 डायबिटिक रेटिनोपैथी: डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों में डायबिटिक रेटिनोपैथी विकसित होने का खतरा होता है। दरअसल, यह एक ऐसी स्थिति होती है, जो रेटिना में रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करती है और रतौंधी का कारण बन सकती है।
6 जेनेटिक समस्या : रतौंधी एक जेनेटिक समस्या भी है, जो व्यक्ति में उनके माता-पिता के द्वारा भी आ सकती है।
7 दवाओं का साइड इफेक्ट: हाई ब्लड-प्रेशर और हार्ट की समस्या की कुछ दवाइयां रतौंधी की समस्या को बढ़ा सकती है।
8 संक्रमण और नेत्र रोग: अक्सर कई अलग-अलग तरह के नेत्र रोग और केराटोकोनस जैसे संक्रमण भी रतौंधी का कारन बनते है।
9 उम्र बढ़ना: रतौंधी का एक कारण बढ़ती उम्र भी होती है।जैसे -जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, वैसे उसकी देखने की क्षमता भी कम होती हैं, और तमाम नेत्र समस्याएं हो जाती है।
10 मायोपिया: गंभीर मायोपिया वाले व्यक्तियों को दूर की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई के कारण रतौंधी का अनुभव हो सकता है।
11 पोषण की कमी: अगर आपका आहार विटामिन ए, बीटा-कैरोटीन, और पोषक तत्वों से भरपूर नहीं है, तो यह आपकी आँखों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
रतौंधी का प्राथमिक लक्षण कम रोशनी वाले वातावरण में स्पष्ट रूप से देखने की क्षमता में कमी है। यहां रतौंधी से जुड़े कुछ सामान्य लक्षण और संबंधित समस्याएं दी गई हैं:
1 खराब रात्रि दृष्टि: रतौंधी से पीड़ित लोगों के लिए सबसे आम लक्षण रात में देखने में समस्या होना होता है। अक्सर पीड़ित व्यक्ति को कम रोशनी वाली स्थितियों में देखने में कठिनाई होती और व्यक्ति को रात में गाड़ी चलाते समय, कम रोशनी वाले क्षेत्रों में चलते समय या अंधेरे कमरे में चीज़ों को देखने में काफी समस्या होती है।
2 अंधेरे के साथ तालमेल बिठाने में कठिनाई: रतौंधी से पीड़ित किसी व्यक्ति को अच्छी रोशनी वाले क्षेत्र से अंधेरे क्षेत्र में जाने पर प्रकाश की स्थिति में बदलाव के साथ तालमेल बिठाने में अधिक समय लग सकता है।
3 आंखो में रोशनी के कारण चुभन: कुछ व्यक्तियों को देखने में समस्या होने का अनुभव हो सकता है। साथ ही लोगों को तेज़ रोशनी के कारण दिखाई देने में समस्या होना और आंखों में दर्द होने जैसे लक्षण भी दिखाई पड़ सकते हैं।
4 सिर दर्द रहना: अगर आपको भी हमेशा बिना किसी कारण के ही सिर दर्द बना रहता है और अंधेरे वाली जगह से उजाले वाली जगह पर जानें के बाद अचानक से बहुत तेज़ दर्द उठता है, तो यह भी रतौंधी का एक लक्षण होता है।
5 रेटिना में सूजन: रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा के चलते रेटिना में सूजन और क्षयंत्रित दृश्य क्षमता की कमी होती है, आमतौर पर यह लक्षण चिकित्सकीय उपचार के दौरान ही दिखाई पड़ता है। साथ ही इसके कारण व्यक्ति को देखने में समस्या होने लगती है और दृश्य स्थिति लड़खड़ाने लगती है।
रतौंधी एक तरह की जेनेटिक बीमारी है, इसलिए इसके निदान में नेत्र परीक्षण किया जाता है। इस परीक्षण में आंखों की शक्ति, प्यूपिल का रिएक्शन और रेटिना का मूल्यांकन किया जाना शामिल है।
इसलिए अगर आपको रतौंधी से जुड़े कोई भी लक्षण दिखाई देते है, तो आपको आंखो के विशेषज्ञ यानी ऑप्थल्मोलॉजिस्ट से परामर्श करना चाहिए। ऑप्थल्मोलॉजिस्ट आपकी मेडिकल कंडीशन समझ के विभिन्न तरह के टेस्ट करेंगे, जिसके बाद वे आपको इससे बचाव की स्थिति के बारे में बतायेगे। ऐसा कई बार होता है कि किसी भी बीमारी के लक्षणों से पूर्णतः यह नहीं समझ सकते कि आपको वो बीमारी ही है। इसलिए आपको डॉक्टर को दिखाना बेहद जरूरी है।
रतौंधी का उपचार एक डॉक्टर या नेत्र विशेषज्ञ के द्वारा ही संभव है। इसके उपचार के दौरान डॉक्टर ब्लड टेस्ट, आई टेस्ट जैसे कई परीक्षण करवा सकते हैं। जिसके बाद डॉक्टर निन्मलिखित उपचार प्रक्रिया अपना सकते है:
1 विटामिन ए अनुपूरक: यदि रतौंधी विटामिन ए की कमी के कारण है, तो डॉक्टर विटामिन ए की खुराक लिख सकते हैं या विटामिन ए युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाने के लिए आहार में बदलाव की सिफारिश कर सकते हैं।
2 मोतियाबिंद सर्जरी: यदि मोतियाबिंद रतौंधी का कारण है, तो अक्सर मोतियाबिंद को ऑपरेशन से हटाने की सिफारिश कर सकते है। मोतियाबिंद सर्जरी से रात्रि दृष्टि में काफी सुधार हो सकता है।
3 ग्लूकोमा का उपचार: यदि ग्लूकोमा इसका कारण है, तो उपचार में आमतौर पर दवाओं या सर्जरी के माध्यम से अंतःनेत्र दबाव को कम करना शामिल होता है। दबाव को नियंत्रित करने से रात्रि दृष्टि में सुधार करने में मदद मिल सकती है।
4 डायबिटिक रेटिनोपैथी का प्रबंधन: यदि रतौंधी डायबिटिक रेटिनोपैथी से संबंधित है, तो दवा, आहार और जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है। स्थिति को प्रबंधित करने के लिए लेजर थेरेपी या अन्य उपचारों का प्रयोग किया जा सकता है।
5 दवा समायोजन: यदि रतौंधी दवा का एक दुष्प्रभाव है, तो डॉक्टर दवा को समायोजित कर सकता है या कम दृश्य दुष्प्रभावों के साथ एक विकल्प लिख सकता है।
6 जीवनशैली में बदलाव: कारण चाहे जो भी हो, रतौंधी के रोगियों को जीवनशैली में बदलाव से फायदा हो सकता है। इसमें रात में विशेष तरह के चश्मे का उपयोग करना, चमकदार रोशनी के संपर्क को कम करना और रात में गाड़ी चलाते समय सतर्क रहना शामिल हो सकता है।
7 सुरक्षात्मक उपाय: मरीजों को सलाह दी जा सकती है कि वे दिन के दौरान धूप का चश्मा पहनकर और तेज या चमकदार रोशनी वाली स्थितियों से बचकर अपनी आंखों को और अधिक नुकसान से बचाएं।
रतौंधी और अंधापन दोनों अलग परिस्थितियां हैं। अंधेपन में व्यक्ति को कुछ नहीं दिखता बल्कि रतौंधी में व्यक्ति को कम उजाले में देखने में समस्या होती है।
न ही सिर्फ रतौंधी बल्कि किसी भी समस्या की दवा हमें बिना डॉक्टर से परामर्श किए बिना नहीं लेनी चाहिए।
रतौंधी मूलतः विटामिन ए की कमी से होता है। लेकिन उसके साथ कई और भी कारण होते है, जिसकी वजह से यह समस्या होती है।
रतौंधी के कई सारे कारण होते है, उनमे से कुछ ऊपर दिए गए है।