रैबीज वायरस (RABV) के संक्रमण से रैबीज होता है। यह दौरे, डिसइलुजन और पैरालाइसिस की वजह बनता है। आमतौर पर रैबीज कुत्ते या चमगादड़ के काटने पर होता है। दरअसल, रैबीज वायरस पशुओं में मौजूद होता है, जो काटने पर इंसानों में चले जाते हैं। यदि रैबीज के संपर्क में आने के तुरंत बाद वैक्सीन लगवा ली जाए, तो इससे बचाव संभव है। एक बार लक्षण शुरू होने पर यह घातक हो जाता है।
रैबीज एक घातक वायरस है, जो संक्रमित पशुओं की लार से लोगों में फैलता है। रैबीज वायरस आमतौर पर पशुओं के काटने से फैलता है। यह कुत्ते के अलावा, चमगादड़, लोमड़ी, रैकून जैसे पशुओं के काटने पर भी हो सकता है। भारत जैसे विकासशील देशों में आवारा कुत्तों से लोगों में रैबीज फैलने की सबसे अधिक संभावना होती है।
एक बार जब किसी व्यक्ति में रैबीज के लक्षण दिखाई देने लगते हैं, तो यह बीमारी अक्सर मृत्यु का कारण बनती है। सुरक्षा के लिए रैबीज के टीके लगवा लेने चाहिए।
आरएबीवी वायरस मनुष्यों और पशुओं में रेबीज का कारण बनता है। यह नसों के माध्यम से शरीर में घूमता रहता है, जिससे न्यूरोंस की क्षति होती है। यह प्रतिरक्षा तंत्र से छिपा रहता है जब तक कि यह मस्तिष्क तक नहीं पहुंच जाता। यह मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है और अंत में मृत्यु का कारण बनता है।
रैबीज के लक्षण फ्लू के समान हो सकते हैं। यह कई दिनों तक रह सकते हैं।
बुखार, सिरदर्द, जी मिचलाना, उल्टी करना, घबराहट, एंग्जाइटी, इलूजन, निगलने में कठिनाई, अत्यधिक लार निकलना, डर, अनिद्रा, आंशिक पक्षाघात इसके लक्षण हो सकते हैं। इसलिए रैबीज के लक्षण नजर आने से पहले मरीज और उसके परिजनों को घटना के बारे में जागरुक रहना चाहिए।
किसी जंगली जानवर या पालतू जानवर ने काट लिया है या खरोंच दिया है, तो तुरंत हेल्थकेयर एक्सपर्ट से मिलना चाहिए। वे घाव की जांच करेंगे और यह निर्धारित करेंगे कि इलाज की आवश्यकता है या नहीं। निदान के लिए रैबीज टेस्ट किया जाता है। इसमें पशु का भी परीक्षण किया जा सकता है।
लार परीक्षण: रैबीज के लक्षण देखने के लिए सलाइवा को प्रयोगशाला में भेजा जाता है।
स्किन बायोप्सी : गर्दन के पीछे से त्वचा का एक छोटा सा नमूना लेकर प्रयोगशाला भेजा जाता है।
ब्रेन फ्लूइड : पीठ के निचले हिस्से से ब्रेन फ्लूइड (CSF) लेकर जांच की जाती है ।
ब्लड टेस्ट : ब्लड प्रयोगशाला भेजा जाता है।
रैबीज़ का कोई निश्चित उपचार नहीं है। किसी संक्रमित पशु के काटने पर जितनी जल्दी हो सके, हेल्थ केयर विशेषज्ञ से संपर्क करें।
घाव को साबुन और पानी से अच्छी तरह साफ करें। घाव की सफाई के लिए भी डॉक्टर की सलाह मानें।
रैबीज पैदा करने वाले वायरस को रोकने के लिए वैक्सीन (Vaccination) की एक श्रृंखला दी जायेगी। यदि पहले कभी टीका नहीं लगाया गया है, तो घाव पर सीधे एंटीबॉडी ट्रीटमेंट भी दिया जाएगा।
रैबीज वायरस पर्यावरण में नहीं रहता है। यह अल्ट्रा वायलट लाइट और ड्राई करने की प्रक्रिया (Desiccation) से तुरंत निष्क्रिय हो जाता है। यह केवल किसी पागल जानवर के काटने या लार के मयूकस मेंब्रेन (mucous membrane) के सीधे संपर्क से फैलता है। यह पर्यावरणीय संपर्क या एरोसोल के माध्यम से नहीं फैलता है।
रैबीज की बीमारी रैबीज वायरस के कारण होती है। यह वायरस सेंट्रल नर्वस सिस्टम और उसके कामकाज को बाधित कर देता है।
संक्रमित पशु को सिर्फ छूने या सहलाने से यह नहीं हो सकता है।रैबीज वायरस संक्रमित जानवरों की लार से फैलता है। किसी संक्रमित जानवर के काटे जाने पर इस वायरस से लोग संक्रमित हो जाते हैं। स्किन में मौजूद पोर के माध्यम से लार उनमें चली जाती है। ब्लड, मूत्र या मल से रैबीज़ नहीं हो सकता है।
यह अवधि आमतौर पर कई हफ्तों से लेकर महीनों तक हो सकती है। इसके लक्षण वर्षों बाद भी दिख सकते हैं।
रेबीज़ वार्म ब्लड एनिमल (mammals) से फैलता है और लार (Saliva) में एकत्रित हो जाता है। यह आमतौर पर किसी संक्रमित जानवर के काटने से रेबीज होता है। यह आमतौर पर चमगादड़, स्कंक, रैकून और फॉक्स में पाया जाता है। पालतू कुत्ता या बिल्ली से भी यह हो सकता है। यदि स्किन का कोई फटा हिस्सा किसी संक्रमित जानवर के थूक के संपर्क में आता है, तो रेबीज हो सकता है
यदि किसी जानवर ने काट लिया है, या रैबीज होने के संदेह वाले किसी पशु के संपर्क में आए हैं, तो तुरंत चिकित्सक मिलें। घाव देखकर डॉक्टर यह निर्णय लेंगे कि रैबीज से बचाव के लिए उपचार प्राप्त करना चाहिए या नहीं।
क्लिनिकल टेस्ट होने के बाद बावजूद रेबीज का वर्तमान में कोई प्रभावी उपचार नहीं है। इस बीमारी को एक्सपोज़र से पहले या तुरंत बाद टीकाकरण के माध्यम से रोका जा सकता है।