सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (The Central Drugs Standard Control Organisation ) नाम की एक संस्था है। शार्ट में CDSCO भी कहते हैं। वह हर महीने दवाइयों के मानक को लेकर रिपोर्ट्स जारी करता है। इस बार की रिपोर्ट में उन 50 दवाइयों के नाम आए जिन्होंने CDSCO के मानकों का उल्लंघन किया था। इस सूची में आम तौर पर सिर दर्द, बुखार में इस्तेमाल किये जाने वाली हमारी ‘फेवरेट’ दवाई भी थी। जिसका नाम है पैरासिटामॉल (Paracetamol)।
सीडीएससीओ ने पहली बार ऐसा नहीं किया है जब उसने पैरासीटामॉल के ख़तरों से आगाह किया हो। वह ऐसा सितंबर में,उसके पहले इसी साल जुलाई में भी कर चुका है। हमें रिसर्च के दौरान CDSCO की 2011 की एक रिपोर्ट मिली। जिसमें साफ तौर पर लिखा हुआ है कि संस्था का सुझाव है कि दवाएं लिखने के दौरान पैरासीटामॉल का इस्तेमाल कम से कम किया जाए।
इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि पेशेंट्स भी दवाओं का कम से कम इस्तेमाल करें ताकि लिवर को नुकसान ना हो? सवाल ये है कि वो नुकसान क्या हैं जिसके चलते CDSCO को बार बार ऐसा करना पड़ रहा है? और दवाओं के ज़्यादा इस्तेमाल के आपको क्या खतरे हो सकते हैं। आज इसे एक्सपर्ट की मदद से समझेंगे।
उजाला सिग्नस फाउंडेशन के डायरेक्टर और हेल्थ पॉलिसी एक्सपर्ट डॉक्टर शुचिन बजाज के अनुसार, हर दवाई अपने साथ साइड इफेक्ट्स लाती है। हर व्यक्ति का शरीर उस दवा पर किस तरह रिएक्ट करेगा,यह भी सवाल है। लेकिन जब दवाओं का ओवरयूज होता है तब वह ज्यादा परेशानी का कारण बनती हैं।
1. अगर आप बहुत ज़्यादा डोज़ लेते हैं तो। आजकल लोग थोड़े से भी दर्द में पेनकिलर का सहारा ले लेते हैं। इससे बचना चाहिए।
2. अगर आप शराब पीते हैं तो आपको पैरासिटामॉल खाने से बचना चाहिए। वैसे बचना तो आपको शराब से भी चाहिए।
3.कई लोगों को पैरासीटामॉल से एलर्जी होती है। फिर भी वो दवा खा लेते हैं। इससे हमेशा बचें।
4.अगर आपकी पहले से दवाई चल रही है तो बिना डॉक्टर की सलाह के पैरासीटामॉल खाने से बचना चाहिए।
5. अगर आपको बार बार बुखार हो रहा है तो। यह किसी और समस्या का संकेत हो सकता है। आपको ऐसी सूरत में पैरासीटामॉल खाने से बचना चाहिए।
6.अगर आपको लीवर से जुड़ा हुआ कोई रोग है या आपको किडनी में कोई समस्या है तो पैरासीटामॉल से दूरी बनाएं।
अगर आपको पहले से ही कोई लीवर की बीमारी है तो आपको पैरासीटामॉल सरीखी दवाइयों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे लिवर पर खतरा और बढ़ सकता है। इसके अलावा पैरासीटामॉल के ओवरडोज से भी लिवर पर खतरा बढ़ता है।
कई बार हमें देर से समझ मे आता है कि हमारी स्किन पर रैशेज या लाल चकते क्यों पड़े। ये दो सूरत में हो सकता है। या तो आपने किसी दवा का ओवरडोज ले लिया हो या फिर आपको दवा से एलर्जी हो।
डॉक्टर शुचिन बजाज एक रिपोर्ट के हवाले से बताते हैं कि पैरासीटामॉल का ओवरडोज कार्डिएक डैमेज यहाँ तक कि हार्ट अटैक (Heart Attack) का कारण भी बन सकता है। इसलिए इसके ओवरडोज से बचना चाहिए।
दवाईयां यह मानकर बनीं थीं कि समस्याओं के दौरान उनका इस्तेमाल किया जाएगा। लेकिन अब यह सुविधा बन चुकी हैं और लोग अपनी सुविधा के अनुसार पैरासीटामॉल सरीखी दवाईयां खरीद और खा रहे हैं। बार-बार, लगातार पैरासीटामॉल खाना किडनी को भयंकर नुकसान पहुंचा सकता है यहाँ तक कि आपकी किडनी डैमेज भी हो सकती है।
1.बच्चों को उनकी उम्र और वजन के अनुसार सही डोज़ दें। कोशिश करें कि डॉक्टर की सलाह पर ही ऐसा हो।
2. शराब पीने के बाद पैरासिटामॉल खाना मतलब अपने शरीर को खतरे में डालना। इससे बचिए।
3.बार-बार दर्द या बुखार के लिए पैरासिटामॉल का इस्तेमाल करने से बचिए। अगर आपको बार बार बुखार या सिरदर्द हो रहा है तो डॉक्टर को दिखा लें।
4.जरूरत पड़ने पर एक बार मे केवल 500 मिलीग्राम की ही डोज़ लें और 24 घंटे में 4 टैबलेट से अधिक ना खाएं
डॉक्टर शुचिन बजाज के अनुसार, दवाईयों के ओवरयूज से बहुत आसानी से बचा जा सकता है, अगर सरकार थोड़ी और इच्छाशक्ति दिखाए। कानून तो बन गए हैं कि बिना डॉक्टर की सलाह, कोई दवा नहीं मिलेगी। लेकिन क्या उसका पालन हो रहा है? नहीं।
आप केमिस्ट को परेशानी बताइये। वह खुद दवा दे दे रहा है। यही तो आखिर वजह है ओवरयूज की। यहां पर सरकार का दखल होना चाहिए कि कोई भी बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के,दवा ना दे और ना दवा ले।
इसके अलावा वो डॉक्टर जो एलोपैथी की दवाईयां लिखने के लिए योग्य नहीं हैं, आयुर्वेदिक डॉक्टर या यूनानी। वे भी अंग्रेज़ी दवाईयां लिख रहे हैं। लोग अपनी मर्जी से कॉमन दवाएं रख और खा रहे हैं। खाना भी ठीक है लेकिन ओवरडोज ले रहे हैं। यह पॉलिसी लेवल पर भी उतनी ही चिंता की बात होनी चाहिए, जितनी एक आम आदमी के लिए।
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