उम्र किसी काम को करन की मोहताज नहीं होती है, फिर चाहे वो व्यायाम ही क्यों न हो। अच्छी सेहत हर व्यक्ति का अधिक है, फिर चाहे वो बच्चा हो या बुजुर्ग। दरअसल, एज फैक्टर के कारण जॉगिंग करने वाले लोग धीरे धीरे सैर करने लगते हैं और फिर निभर बैठकर अपना वक्त बिता लेते है। अगर आप भी 60 वर्ष की उम्र पार कर चुके हैं। मगर फिर भी खुद को फिट रखना चाहते हैं, तो योग एक बेहतरीन उपाय है। इस विकल्प को चुनकर न केवल शरीर के संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलती है बल्कि स्वास्थ्य समस्याओं को खतरा भी टल जाता है। जानते हैं बुजुर्गों के लिए योगाभ्यास (yoga for aging adults) क्यों है फायदेमंद।
इस बारे में फिटनेस एक्सपर्ट डॉ गरिमा भाटिया बताती हैं कि योग की मदद से शरीर में स्थिरता, लचीलापन और मोबीलिटी बढ़ने लगता है। दरअसल, उम्र बढ़ने के साथ शरीर में संतुलन की कमी बढ़ जाती है, जिससे चोटिल होने का खतरा रहता है। ऐसे में खुद को फिट रखने के लिए योग की मदद ली जा सकती है। इससे न केवल मांसपेशियों की मज़बूती बढ़ती है बल्कि तनाव को दूर करने में मदद मिलती है। साथ ही उम्र के साथ बढ़ने वाली हृदय समस्याओं का खतरा भी टल जाता है।
शरीर के ऊपरी और निचले हिस्से में आपसी संतुलन को बनाए रखने के लिए योग बेहद ज़रूरी है। इससे शरीर को लचीलापन बढ़ने लगता है और उठने बैठने में होने वाली तकलीफ से बचा जा सकता है। साथ ही उम्र के साथ लड़खड़ाकर चलते से बचा जा सकता है। दरअसल, योगाभ्यास की मदद से शरीर के मसल्स की मज़बूती बढ़ जाती है।
नियमित रूप से योग का अभ्यास करने से शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ने लगता है। इससे शरीर में बढ़ने वाले कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करके आर्टरीज़ में जमने वाले प्लाक से राहत मिलती है। योग की मदद से सांस पर नियंत्रण रखने में मदद मिलती है, जिससे हृदय रोगों की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन के अनुसार उम्र बढ़ने से जोड़ों में अकड़न और बोन डेंसिटी में कमी आने लगती है। साथ ही चोटिल होने या किसी बीमारी के कारण दर्द की समस्या बनी रहती है। रिसर्च के मुताबिक 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के 21.75 फीसदी लोगों में पीठ दर्द की शिकायत रहती है।
इससे जीवन की गुणवत्ता और दैनिक जीवन की गतिविधियों को करने की क्षमता में कमी आ जाती है। नियमित रूप से अपने जोड़ों को हिलाने से दर्द कम हो सकता है और बुजुर्गों के लिए योग जैसे हल्के व्यायाम ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में मदद कर सकते हैं।
योगाभ्यास से कॉग्नीटिव स्किल्स बढ़ने लगता है। साथ ही नर्वस सिस्टम को नियंत्रित किया जा सकता है। गहरी सांस लेने और छोड़ने से मन को शांति मिलती है और एकाग्रता बढ़ने लगती है। साथ ही उम्र के साथ बढ़ने वाली भूलने की समस्या से भी राहत मिल जाती है। मानसिक स्वास्थ्य को उचित बनाए रखने के लिए शारीरिक गतिविधि आवश्यक है।
यूसीएलए की रिपोर्ट के अनुसार 50 वर्ष की उम्र के बाद शरीर के लचीलेपन में कमी आने लगती है। ऐसे में सालाना 65 वर्ष और उससे ज्यादा उम्र के एक तिहाई लोग गिरकल चोटिल होते हैं। इससे बुजुर्गों में चोटिल होने का खतरा बढ़ने लगता है। ऐसे में रोज़ाना योग की मदद से मांसपेशियों की मज़बूती बढ़ने लगती है और गिरने का डर कम होने लगता है।