सिर और गर्दन के कैंसर उन कैंसर रोगों के समूह को कहते हैं जो हमारे शरीर में सिर तथा गर्दन के ऊतकों (Tissues) और अंगों (Organs) में पनपते हैं। इनमें ओरल कैविटी (Mouth), गला (pharynx), वॉयस बॉक्स (larynx), साइनस, नाक और लार ग्रंथियां (सैलाइवा ग्लैंड्स) शामिल हैं। ये कैंसर आमतौर पर सिर एवं गर्दन की भीतरी और नम सतहों पर मौजूद स्क्वैमस कोशिकाओं, जैसे मुंह, नाम और गले की म्युकोसल सतहों में शुरू होते हैं।
तंबाकू (धुंआरिहत तंबाकू समेत) और शराब का अधिक सेवन, ह्यूमैन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) के कुछ खास स्ट्रेन्स, तथा कुछ खास किस्म के रसायनों और पदार्थों (जैसे एस्बेस्टस) आदि के संपर्क में आने से सिर और गर्दन के कैंसर का रिस्क बढ़ता है।
सिर एवं गर्दन के कैंसर में अलग-अलग प्रकार के कैंसर शामिल हैं, जो कि इन अंगों के अलग-अलग हिस्सों में पनपते हैं। यहां कुछ प्रमुख प्रकार के बारे में बताया जा रहा हैः
इसमें होंठों, जीभ, मसूढ़ों के अलावा माउथ फ्लोर तथा मुंह के अन्य हिस्सों को प्रभावित करने वाले कैंसर शामिल हैं।
इसमें फैरिंक्स (गला) में पनपने वाले कैंसर रोग शामिल हैं। फैरिंक्स हमारे गर्दन के भीतर एक खोखली नली होती है जो नाक के पिछले हिस्से से शुरू होकर इसोफेगस तक जाती है। फेरिंजल कैंसर निम्न प्रकार के होते हैंः
– नेसोफेरिंजल कैंसरः यह गले के ऊपरी हिस्से में, नाक के पीछे होता है।
– ओरोफेरिंजल कैंसरः यह गले के मध्य भाग में, टॉन्सिल्स तथा तीभ के तल आदि में पैदा होता है।
– हाइपोफेरिंजल कैंसरः यह गले के निचले भाग में, जहां हाइपोफेरिंक्स और इसोफेगस (ग्रास नली/भोजन नली का सबसे ऊपरी सिरा) आपस में जुड़ते हैं, पनपता है।
इसमें वोकल कॉर्ड समेत लेरिंक्स (वॉयस बॉक्स) का कैंसर शामिल है।
ये कैंसर नाक के आसपास की हड्डियों के बीच खाली स्थानों पर पनपते हैं।
यह कैंसर रोग लार पैदा करने वाली लार ग्रंथियों में पैदा होता है।
हालांकि यह सिर की बजाय गर्दन में होता है, लेकिन थायरॉयड कैंसर को इसकी नजदीकी तथा इलाज के चलते सिर और गर्दन कैंसर समूह में रखा जाता है।
गर्दन और सिर के कैंसर कई कारणों से हो सकते हैं, इनमें लाइफस्टाइल संबंधी बदलाव, कुछ खास किस्म का पर्यावरण संबंधी एक्सपोजर, और आनुवांशिक कारण प्रमुख हैं। यहां हम आपको सिर एवं गर्दन के कुछ सामान्य कारणों तथा रिस्क फैक्टर के बारे में जानकारी दे रहे हैंः
सिगरेट, सिगार, पाइप का सेवन या धुंआरहित तंबाकू का सेवन (जैसे तंबाकू सूंघना या चबाना) भी सिर एवं गर्दन के कैंसर रोगों का रिस्क बढ़ाते हैं। तंबाकू में कुछ ऐसे कैंसरकारी तत्व मौजूद होते हैं जिनसे मुंह, गले एवं सिर तथा गर्दन के अन्य भागों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है।
काफी अधिक मात्रा में और लंबे समय तक शराब का सेवन रिस्क बढ़ाता है, खासतौर पर यदि साथ में तंबाकू का प्रयोग भी किया जाता हो। शराब मुंह तथा गले की अंदरूणी सतहों की कोशिकाओं को परोशान करती है जिनसे उनमें कैंसर पनपने की संभावना बढ़ जाती है।
कुछ खास प्रकार के एचपीवी, खासतौर से HPV-16 तथा HPV-18 के चलते ओरोफेरिंजल कैंसर का रिस्क, खासतौर से टॉन्सिल्स और जीभ के तल में बढ़ जाता है। एचपीवी संबंधी कैंसर युवाओं में अधिक पाए जाते हैं और इनका संबंध तंबाकू या अल्कोहल के सेवन से नहीं होता।
एशिया के कई हिस्सों में पान का बीड़ा (पान के पत्ते में सुपारी और कत्थे का मिश्रण) चबाना आम है और इसे ओरल कैंसर से जोड़कर देखा जाता है।
मसूढ़ों को लगातार परेशान करने और सूजन (पेरीडोंटल रोग) तथा डेंटल हाइजिन का ख्याल नहीं रखने से ओरल कैविटी कैंसर का रिस्क बढ़ता है।
सिर और गर्दन के हिस्सों के इलाज के लिए पूर्व में रेडिएशन के संपर्क में आने, जैसे कि पिछले कैंसर या बिनाइन कंडीशंस के उपचार, के चलते उसी हिस्से में दोबारा कैंसर पनपने का जोखिम बढ़ सकता है।
वर्कप्लेस एक्सपोज़र, जैसे एस्बेस्टस, बुरादा (वुड डस्ट), निकल डस्ट, और कुछ खास किस्म के रसायनों के संर्पक में आने से भी नेसल कैविटी और साइनस कैंसर का रिस्क बढ़ता है।
कुछ जेनेटिक सिंड्रोम, जैसे फेनकोनी एनीमिया (एफए) और डिस्केरोटॉसिस कोन्जेनाइटा, सिर एवं गर्दन के कैंसर का रिस्क बढ़ाते हैं।
भोजन में फलों और सब्जियों का सेवन कम करने या कुछ खास विटामिनों एवं मिनरल की कमी से भी सिर एवं गर्दन के कैंसर का रिस्क बढ़ता है।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि इन रिस्क फैक्टर्स से जूझने वाले हर इंसान को सिर एवं गर्दन के कैंसर नहीं होते, और कई बार ऐसा भी होता है कि बिना किसी रिस्क फैक्टर के ही ये कैंसर पनपते हैं। इसलिए रेगुलर स्क्रीनिंग और रिस्क फैक्टर्स का एक्सपोज़र कम से कम करना इन कैंसर का जोखिम घटा सकता है।
प्रमुख लक्षण | ये संकेत दिखें तो हो जाएं सावधानसिर और गर्दन के कैंसर के लक्षणों में गले में लगातार खराश, निगलने में कठिनाई, ऐसी गुठली या घाव जो ठीक न हो, आवाज़ में बदलाव, कान में दर्द, और अकारण वजन घटना शामिल है। इन रोगों के उपचार के नतीजों में सुधार के लिए शुरुआती चरण में इनका निदान और इलाज करना काफी महत्वपूर्ण होता है। उपचार के लिए सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी, टार्गेटेड थेरेपी, या इन तरीकों का कंबीनेशन शामिल है। |
सिर और गर्दन कैंसर के लक्षण वास्तव में कैंसर टाइप और उसकी लोकेशन पर निर्भर करते हैं। कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैंः
उल्लेखनीय है कि ये लक्षण कैंसर के अलावा कुछ अन्य कंडीशंस की वजह से भी उभर सकते हैं, लेकिन यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण कुछेक हफ्तों से ज्यादा समय तक दिखायी दें और इनमें कुछ सुधार न हो, तो डॉक्टर से सलाह-मश्विरा जरूर लें। याद रखें, सिर एवं गर्दन के कैंसर रोगों का जल्द से जल्द निदान होने से उपचार के नतीजों में काफी सुधार आता है।
हेड एंड नेक कैंसर का निदान विभिन्न प्रक्रियाओं और परीक्षणों के माध्यम से किया जाता है, जो इस प्रकार हैं:
डॉक्टर सबसे पहले शारीरिक परीक्षण करते हैं, जिसमें गले, मुंह, नाक और गर्दन के हिस्सों को जांचा जाता है। इस दौरान गांठें या असामान्य सूजन का निरीक्षण किया जाता है।
इस प्रक्रिया में डॉक्टर एक पतली, लचीली ट्यूब के माध्यम से गले और नाक के भीतर का निरीक्षण करते हैं। इसे एंडोस्कोप कहते हैं, जिसमें एक कैमरा होता है जो आंतरिक अंगों की तस्वीरें दिखाता है।
अगर किसी गांठ या संदिग्ध ऊतक की पहचान होती है, तो उस हिस्से से थोड़ा सा टिशू निकालकर जांच के लिए भेजा जाता है। इसे बायोप्सी कहते हैं। इस प्रक्रिया से कैंसर की पुष्टि होती है।
कैंसर के फैलाव और आकार की जांच के लिए इमेजिंग तकनीकों का उपयोग किया जाता है। इनमें CT स्कैन, MRI, PET स्कैन, और एक्स-रे शामिल होते हैं।
खून, मूत्र या अन्य तरल पदार्थों का परीक्षण करके यह देखा जाता है कि कैंसर कोशिकाएं शरीर में कहीं और तो नहीं फैली हैं।
इस प्रक्रिया में एक पतली सुई के माध्यम से गांठ से सैंपल लिया जाता है और जांच के लिए भेजा जाता है।
यह एक विस्तृत जांच प्रक्रिया है जिसमें डॉक्टर मुंह, गला, और आवाज की नली की जांच करते हैं। इसमें लैरिंजोस्कोपी और ब्रॉन्कोस्कोपी भी शामिल हो सकती हैं।
यदि कैंसर की पुष्टि हो जाती है, तो डॉक्टर कैंसर के प्रकार और उसकी जैविक विशेषताओं की पहचान करने के लिए आणविक परीक्षण कर सकते हैं।
इन सभी परीक्षणों के परिणामों के आधार पर हेड एंड नेक कैंसर का निदान और उसका उपचार तय किया जाता है।
सिर और गर्दन कैंसर के प्रत्येक प्रकार के रिस्क फैक्टर, लक्षण तथा उपचार के तौर-तरीके अलग-अलग हो सकते हैं। हालांकि रेगुलर स्क्रीनिंग के जरिए रोग का शीघ्र निदान और लक्षणों की जानकारी होने से नतीजों में सुधार और मरीजों के बचने की संभावना काफी बेहतर होती है।
हेड एंड नेक कैंसर का उपचार कैंसर के प्रकार, स्थान, चरण (स्टेज), और रोगी के सामान्य स्वास्थ्य के आधार पर किया जाता है। उपचार के मुख्य तरीके निम्नलिखित हैं:
सर्जरी के माध्यम से कैंसरयुक्त ट्यूमर और आसपास के प्रभावित ऊतकों को निकाल दिया जाता है। सर्जरी का प्रकार कैंसर के स्थान और फैलाव पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, गले या मुंह के कैंसर के लिए ट्यूमर रिमूवल सर्जरी की जाती है।
कुछ मामलों में, सर्जरी के बाद प्लास्टिक सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है ताकि प्रभावित अंगों की सामान्य कार्यक्षमता और स्वरूप बहाल किया जा सके।
रेडिएशन थेरेपी में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए उच्च-ऊर्जा एक्स-रे या अन्य विकिरण का उपयोग किया जाता है।
इसे सर्जरी के पहले (नियोएडजुवेंट थेरेपी) या बाद में (एडजुवेंट थेरेपी) दिया जा सकता है, या सर्जरी के विकल्प के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
रेडिएशन थेरेपी कभी-कभी कीमोथेरेपी के साथ संयोजन में दी जाती है, जिसे केमोरेडिएशन कहा जाता है।
कीमोथेरेपी में कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए विशेष दवाओं का उपयोग किया जाता है। इसे आमतौर पर रेडिएशन थेरेपी के साथ दिया जाता है, खासकर अगर कैंसर उन्नत अवस्था में हो।
कीमोथेरेपी कैंसर के फैलाव को नियंत्रित करने में भी सहायक हो सकती है।
यह उपचार कैंसर कोशिकाओं के विशिष्ट गुणों को लक्षित करता है। ये दवाएं कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने और फैलने से रोकने के लिए उनके अणविक परिवर्तन को रोकती हैं।
EGFR इनहिबिटर जैसी दवाएं हेड एंड नेक कैंसर के कुछ प्रकारों में प्रभावी हो सकती हैं।
इम्यूनोथेरेपी कैंसर के खिलाफ लड़ाई में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है। यह उपचार उन मामलों में उपयोगी हो सकता है जहां पारंपरिक उपचार काम नहीं करते।
PD-1 इनहिबिटर जैसी दवाएं इम्यूनोथेरेपी के तहत उपयोग की जा सकती हैं।
उपचार के बाद रोगी को आवाज, निगलने, और खाने के तरीकों में मदद के लिए पुनर्वास की आवश्यकता हो सकती है। सहायक देखभाल में पोषण, दर्द प्रबंधन, और मानसिक स्वास्थ्य सहायता शामिल होती है, ताकि रोगी की जीवन गुणवत्ता को बनाए रखा जा सके।
कुछ रोगियों के लिए क्लिनिकल ट्रायल्स में भाग लेना भी एक विकल्प हो सकता है, जहां नए उपचार और दवाओं का परीक्षण किया जाता है।
हर रोगी का उपचार उसकी व्यक्तिगत स्थिति के अनुसार अलग-अलग हो सकता है, इसलिए डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है। ताकि सबसे प्रभावी उपचार योजना बनाई जा सके।