टी.बी./तपेदिक

Published: 25 Jul 2024, 14:28 PM
मेडिकली रिव्यूड

एक समय ऐसा था जब तपेदिक यानी टीबी (Tuberculosis) रोग दुनियाभर में मौत का प्रमुख कारण था। यह आम जनता की सेहत से जुड़ा सबसे बड़ा सरोकार बन चुका था। टी.बी. संक्रामक रोग है जो फेफड़ों को प्रभावित करता है और मायोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया के कारण फैलता है।

Tuberculosis
टीबी

टी.बी. का बैक्टीरिया हवा के माध्यम से फैलता है। जब भी संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता है या गाना गाता है, बोलता है, तो उसके मुंह से बाहर आने वाली छींटों के साथ रोगकारी बैक्टीरिया भी हवा में फैल जाते हैं। ये संक्रमित छींट हवा के जरिए स्वस्थ मनुष्यों में फैलती हैं और उन्हें भी रोगी बना देती हैं। टी.बी. के प्रसार का यह सबसे प्रमुख तरीका है।

यह भी ध्यान देने योग्य है कि बैक्टीरिया को अपनी सांसों के संग अंदर ले जाने वाला हर व्यक्ति टी.बी. का मरीज हो, ऐसा जरूरी नहीं है। कई बार हेल्दी इम्यून सिस्टम शरीर पर हमला बोलने वाले इंफेक्शन को भी पटखनी देता है, और इसके चलते लेटेंट टी.बी. इंफेक्शन होता है। इस स्टेज के मरीज में कोई लक्षण दिखायी नहीं देता और न ही वह संक्रमण फैला सकता है। लेकिन, कुछ खास परिस्थितियों में, जैसे कि कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण, जो कि एचआईवीए/एड्स, डायबिटीज़, या कुपोषण की वजह से हो सकता है, बैक्टीरिया एक्टिव हो सकता है, जिससे टी.बी. का रोग पूर्ण रूप से घेर लेता है।

हालांकि पिछले कुछ वर्षों में लोगों का रहन-सहन बेहतर हुआ है जिसके परिणामस्वरूप विकसित देशों में इस रोग का प्रसार कुछ कम हुआ है, लेकिन इसके बावजूद टी.बी. आज भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौती है। खासतौर से अधिक घनत्व वाली जगहों पर गुजर-बसर करने वाली आबादी और हेल्थकेयर तक सीमित एक्सेस रखने वाले वर्गों के बीच यह रोग आज भी चिंता का विषय है। टी.बी. के कारणों, रिस्क फैक्टर, लक्षणों, उपचार के विकल्पों और बचाव के उपायों को समझना इसके प्रसार को रोकने की दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है और इससे हमारा बचाव भी होता है।

बेशक टी.बी. से निपटने की दिशा में काफी प्रगति हो चुकी है, यह आज भी ग्लोबल हेल्थ के लिए चुनौती है। टी.बी. किस प्रकार फैलती है, रिस्क फैक्टर क्या हैं, किन लक्षणों को लेकर सचेत रहने की जरूरत है, उपचार की पूरी प्रक्रिया का पालन करना क्यों जरूरी है, इन बातों का ध्यान रखकर हम इस रोग से कारगर तरीके से निपट सकते हैं।

बचाव के उपायों जैसे वैक्सीनेशन करने, अच्छी हाइजिन की आदतों का पालन और रहन-सहन की जगहों को हवादार बनाने से टी.बी. के प्रसार को नियंत्रित करने और सभी के लिए सेहतमंद भविष्य का निर्माण करने में मदद मिल सकती है।

टी.बी./तपेदिक : कारण

आपको टी.बी. का मरीज बनाने वाले कई रिस्क फैक्टर होते हैं। एक्टिव टीबी रोगी के संपर्क में आना इसमें काफी महत्वपूर्ण होता है। भीड़-भाड़ वाली जगहों पर रहना, या कम हवादार वाले स्थानों पर अधिक समय बिताने, नशीले पदार्थों का सेवन, कुछ खास मेडिकल कंडीशंस जैसे कि सिलिकोसिस (फेफड़ों का रोग सिलिका डस्ट में सांस लेने से हो सकता है), और उम्र (कम उम्र के शिशुओं, बुजुर्गों में इसका अधिक खतरा होता है) की वजह से भी आपका रिस्क बढ़ता है।

टी.बी./तपेदिक : महत्वपूर्ण तथ्य

अमूमन देखा जाता है

टीबी इंफेक्शन से बचाव करना सबसे पहला सुरक्षा उपाय है। इसके लिए, कई देशों में आमतौर पर नवजातों और छोटी उम्र के बच्चों को बीसीजी वैक्सीन दी जाती है, जिससे कुछ सुरक्षा मिलती है। लेकिन यह वैक्सीन कितनी कारगर है, यह टीबी स्ट्रेन पर निर्भर करता है। पब्लिक हेल्थ के उपायों का पालन करना भी महत्वपूर्ण होता है, जैसे कि हवादार जगहों पर रहें, खांसते और छींकते हुए सावधानी बरतें (अपने मुंह और नाक को ढक लें), हैंड हाइजीन का पालन करें। ताकि टी.बी. को फैलने से रोका जा सके। इसके अलावा, अगर आपको यह संदेह हो कि आप टी.बी. संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं, तो शीघ्र ही ही जांच करवाएं और जरूरी होने पर उपचार शुरू करें।

टी.बी./तपेदिक : लक्षण

अगर एक्टिव टी.बी. होती है तो उसके लक्षण काफी परेशानी पैदा करने वाले हो सकते हैं। जैसे मरीज को लगातार खांसी रहती है, तीन सप्ताह से अधिक समय तक बनी रहने वाली खांसी इसका प्रमुख लक्षण है।

इसके अलावा, खांसी के साथ खून, बलगम, छाती में दर्द, गैर-इरादतन वज़न कम होना, थकान रहना, बुखार, रात में सोते समय पसीना आना और भूख न लगना भी इनमें शामिल है। शुरुआत में डायग्नॉसिस से जटिलताओं और रोग के प्रसार को कम करने में मदद मिलती है।

टी.बी./तपेदिक : निदान

टी.बी. के निदान की प्रक्रिया काफी विस्तृत होती है। सबसे पहले, हेल्थकेयर प्रदाता द्वारा लक्षणों के मूल्यांकन और शारीरिक जांच के बाद जरूरी टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है। इनमें स्किन के अलावा, टी.बी. एक्सपोज़र का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट, फेफड़ों में असामान्यता की जांच के लिए छाती का एक्स-रे, टी.बी. बैक्टीरिया की पहचान करने के लिए स्पुटम कल्चर आदि शामिल हैं।

इनके अलवा, सीटी स्कैन या एसिड-फास्ट स्मीयर्स भी रोग की पुष्टि या और मूल्यांकन के लिए जरूरी होता है। प्रभावी तरीके से उपचार के लिए सटीक डायग्नॉसिस काफी महत्वपूर्ण होता है।

टी.बी./तपेदिक : उपचार

एक्टिव टी.बी. के इलाज के लिए कई महीनों तक तरह-तरह की एंटीबायोटिक्स का सेवन करना होता है। इलाज का पूरा कोर्स जरूरी होता है, बेशक लक्षणों में सुधार दिखायी देने लगे। समय से पहले ट्रीटमेंट छोड़ने के कारण एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस बढ़ सकता है, जिससे कई बार यह भी होता है कि भविष्य में इंफेक्शन का उपचार करना कठिन होता है। खुशकिस्मती से अब एंटीबायोटिक का कारगर विकल्प उपलब्ध है और इसका पूरा कोर्स करने पर टीबी का इलाज भी मुमकिन होता है।

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टी.बी./तपेदिक : संबंधित प्रश्न

क्या ट्यूबरक्लोसिस (टी.बी.) का इलाज संभव है?

हां, ट्यूबरक्लोसिस का उपचार सही प्रकार की दवाओं और इलाज से किया जा सकता है। टीबी के अधिकांश मामलों में, निर्धारित अवधि तक सही एंटीबायोटिक्स का सेवन असरकारक होता है, यह अवधि नौ माह तक भी हो सकती है (विश्व स्वास्थ्य संगठन)।

टी.बी. का मरीज कितने समय तक जीवित रहता है?

सही तरीके से उपचार होने पर, टी.बी. मरीज का जीवनकाल सामान्य होता है। लेकिन इसका इलाज नहीं होना घातक हो सकता है और इसके कारण काफी हद तक उम्र घट सकती है। शुरुआत में डायग्नॉसिस और उपचार का सही ढंग से पालन करना महत्वपूर्ण होता है।

अगर टी.बी. हो जाए, तो क्या हो सकता है?

यदि आप टी.बी. के मरीज हों तो आपको बुखार, खांसी, वजन कम होने, रात में पसीना आने, पीठ दर्द, ग्रंथियों में सूजन, सिरदर्द और कमजोरी की शिकायत हो सकती है।ये भी जटिल किस्म के लक्षण होते हैं और टी.बी. इंफेक्शन की साइट के मुताबिक स्पैक्ट्रम हो सकता है। ऐसे में शीघ्र डायग्नॉसिस काफी महत्वपूर्ण होता है। ताकि जटिलताओं से बचा जा सके और इंफेक्शन का प्रसार रोकने में भी मदद मिले। उपचार के लिए कई महीनों तक एंटीबायोटिक्स का सेवन करना होता है।

क्या ट्यूबरक्लोसिस घातक रोग है?

यदि उपचार नहीं किया जाए तो ट्यूबरक्लोसिस घातक हो सकता है। लेकिन सही उपचार मिलने पर इस रोग को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।

क्या टी.बी. मरीज को शादी करनी चाहिए?

टी.बी. होने का मतलब यह नहीं है कि रोगी की शादी नहीं हो सकती। लेकिन रोगी को अपने डायग्नॉसिस के बारे में अपने भावी पार्टनर से कुछ छिपाना नहीं चाहिए। उपचार की अवधि में उन सभी सावधानियों का पूरी कड़ाई से पालन भी करना चाहिए जिनसे इंफेक्शन को फैलने से रोका जा सके।

क्या टी.बी. रोगी गर्भधारण कर सकती है?

प्रेगनेंसी आमतौर से उन महिलाओं के मामले में पूरी तरह से सुरक्षित रहती है जो टी.बी. का उपचार करवा चुकी होती हैं या जिन्हें लेटेंट टी.बी. (इनेक्टिव इंफेक्शन) होती है। लेकिन यदि आप टी.बी. रोगी हैं, तो प्रेगनेंसी संबंधी अपनी प्लानिंग के बारे में अपने डॉक्टर से अवश्य परामर्श करें।

क्या हम टी.बी. मरीज को गले लगा सकते हैं और उनका चुंबन ले सकते हैं?

बेहतर होगा कि हमें उन टी.बी. मरीजों को गले लगाने या उनका चुंबन करने से बचना चाहिए जो एक्टिव टीबी से ग्रस्त है और जिनका उपचार शुरू नहीं हुआ होता। टी.बी. का बैक्टीरिया संक्रमित मरीज द्वारा खांसने और छींकने से हवा के जरिए फैलता है। उपचार शुरू होने के बाद और मरीज के संक्रमित नहीं रहने पर, उनके साथ शारीरिक संपर्क अपेक्षाकृत सुरक्षित होता है।