मलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार हो जाता है। यह प्लास्मोडियम जीनस के ब्लड पैरासाइट के कारण होता है। जो संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है। मलेरिया अगर गंभीर हो जाए तो यह किडनी फेलियर, फिट्स, कोमा और मृत्यु का भी कारण बन सकता है।
मलेरिया पैरासाइट से होने वाली बीमारी है। यह परजीवी या पैरासाइट संक्रमित मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलता है। जिन लोगों को मलेरिया होता है, वे आमतौर पर तेज बुखार और कंपकंपी वाली ठंड के साथ बीमार पड़ते हैं।
वैक्सीन उपलब्ध होने के बावजूद मलेरिया ट्रॉपिकल और सब ट्रॉपिकल देशों में आम है। आज भी हर साल विश्व भर में 29 करोड़ लोग मलेरिया से संक्रमित होते हैं और इससे 40 लाख लोगों की मौत हो जाती है। मलेरिया को नियंत्रित करने और इसके उन्मूलन के वैश्विक प्रयास के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस या वर्ल्ड मलेरिया डे मनाया जाता है। आज भी विश्व स्तर पर 106 देशों में 300 करोड़ से अधिक लोगों को मलेरिया का खतरा है।
मलेरिया प्लास्मोडियम जीनस के सिंगल सेल पैरासाइट के कारण होता है। परजीवी आमतौर पर मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलता है।
मलेरिया फैलाने वाले परजीवी रेड ब्लड सेल्स को प्रभावित करते हैं। लोग संक्रमित ब्लड के संपर्क में आने से भी मलेरिया की चपेट में आ सकते हैं। यह हो सकता है —
आमतौर पर कंपकंपी और ठंड लगने से मलेरिया की शुरुआत होती है। उसके बाद तेज बुखार होता है, पसीना आता है फिर तापमान सामान्य हो जाता है। मलेरिया के लक्षण आम तौर पर संक्रमित मच्छर द्वारा काटे जाने के कुछ हफ्तों के भीतर शुरू होते हैं। कुछ प्रकार के मलेरिया परजीवी शरीर में एक वर्ष तक निष्क्रिय रह सकते हैं।
मलेरिया घातक भी हो सकता है, खासकर जब यह अफ्रीका में आम तौर पर पाई जाने वाली प्लास्मोडियम प्रजाति के कारण होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के मुताबिक मलेरिया से होने वाली लगभग 94% मौतें अफ्रीका में होती हैं और वह 5 साल से कम उम्र के बच्चों में ज्यादा।
यदि ब्लड सेल्स में मौजूद पैरासाइट मस्तिष्क के छोटे ब्लड वेसल्स को अवरुद्ध कर देते हैं, तो मस्तिष्क में सूजन हो सकती है या ब्रेन डीजेनरेशन हो सकता है। यह सेरेब्रल मलेरिया और कोमा का कारण बन सकता है।
फेफड़ों में जमा हुआ तरल पदार्थ सांस लेना मुश्किल बना सकता है।
मलेरिया किडनी या लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है। यह स्प्लीन के फटने का कारण बन सकता है। इनमें से कोई भी स्थिति जीवन के लिए खतरा हो सकती है।
मलेरिया के परिणामस्वरूप शरीर के ऊतकों को ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति के लिए पर्याप्त रेड ब्लड सेल्स नहीं मिल पाते हैं।
मलेरिया के गंभीर रूप हाइपोग्लाइसीमिया का कारण बन सकते हैं। मलेरिया से निपटने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली आम दवा कुनैन से हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है । बहुत कम ब्लड शुगर के परिणामस्वरूप कोमा या मृत्यु हो सकती है।
मलेरिया का निदान करने के लिए डॉक्टर मेडिकल हिस्ट्री और हाल की यात्रा की समीक्षा करते हैं। ब्लड टेस्ट और फिजिकल टेस्ट हो सकता है। ब्लड टेस्ट से संकेत मिल सकते हैं :
परजीवी को मारने के लिए मलेरिया का उपचार चिकित्सकीय दवाओं से किया जाता है। दवाओं के प्रकार और उपचार की अवधि अलग-अलग होगी, यह इस पर निर्भर करता है:
सबसे आम मलेरियारोधी दवाओं में शामिल हैं :
क्लोरोक्वीन फॉस्फेट, आर्टीमिसिनिन, एटोवाक्वोन-प्रोगुआनिल, कुनैन सल्फेट, डॉक्सीसाइक्लिन, प्राइमाक्वीन फॉस्फेट
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मलेरिया के ज्यादा मामलों वाले देशों में रहने वाले बच्चों के लिए मलेरिया के टीके के उपयोग की सिफारिश की है।
मलेरिया मनुष्यों में एनाफिलीज मच्छर की कुछ प्रजातियों द्वारा फैलता है। चार मुख्य परजीवी प्रजातियां हैं। प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम फाल्सीपेरम मलेरिया का कारण बनता है। प्लाज्मोडियम विवैक्स विवैक्स मलेरिया का कारण बनता है, जिससे क्वार्टन या मलेरिया होता है। प्लाज़मोडियम फाल्सीपेरम दक्षिण अफ़्रीका में प्रमुख प्रजाति है। प्लाज़मोडियम विवैक्स के कारण बहुत कम मामले होते हैं। प्लाज्मोडियम ओवले और प्लाज्मोडियम मलेरिया स्थानीय रूप से प्रसारित नहीं होते हैं, लेकिन अफ्रीका से यात्रा कर लौटने वाले यात्रियों में इनकी पहचान की गई है।
कुछ जानवर जैसे कि पक्षी, रोडेंट, रेप्टाइल मनुष्यों से अलग मलेरिया प्रजातियों से संक्रमित हो सकते हैं। बंदर और मनुष्य में मलेरिया की कुछ प्रजाति शेयर हो सकती है। पशु मलेरिया आम तौर पर मनुष्यों को प्रभावित नहीं करता है।
मलेरिया का इनक्यूबेशन पीरियड 7 दिनों तक हो सकता है। कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में औसतन 10 से 21 दिन होता है। लक्षण में तेज बुखार और इन्फ्लूएंजा हो सकते हैं। वयस्कों में सिरदर्द, ठंड के साथ कंपकंपी और पसीना आना और मायलगिया आम हैं। बाद में, सुस्ती, थकान, पेट की परेशानी, दस्त, भूख न लगना, मतली और उल्टी, गले में खराश और खांसी हो सकती है। छोटे बच्चों में मलेरिया बुखार, सुस्ती, खराब भोजन, उल्टी, दस्त या खांसी के साथ हो सकता है।
बुखार से पीड़ित किसी भी मरीज में मलेरिया को डायग्नोज करना चाहिए, जिसने मलेरिया से पीड़ित क्षेत्र की यात्रा की हो या वहां रहता हो। मलेरिया की पुष्टि ब्लड टेस्ट, ब्लड स्मीयर से मलेरिया परीक्षण द्वारा की जाती है। निदान की पुष्टि होने या लक्षण ठीक होने तक दोबारा परीक्षण किए जाने चाहिए।
दवा और नॉन मेडिसिन प्रोफाइलेक्टिक उपायों के उचित उपयोग से मलेरिया प्रोन क्षेत्रों में जाने वाले अधिकांश यात्रियों को इस बीमारी से संक्रमित होने से रोका जा सकता है।मच्छरों से बचाव : शाम और सुबह के बीच घर के अंदर रहने की कोशिश करनी चाहिए। लंबी बाजू वाले और हल्के रंग के कपड़े पहनने से मच्छरों के संपर्क को काफी कम किया जा सकता है। मच्छर कमर के नीचे और विशेषकर घुटनों के नीचे काटते हैं। इसलिए लंबी पतलून और मोज़े पहनने की सलाह दी जाती है। मच्छर रिपेलेंट को खुली त्वचा पर लगाया जा सकता है। मैट और मच्छर कॉइल का उपयोग घर के अंदर किया जा सकता है। मच्छर स्क्रीन का उपयोग खिड़कियों और दरवाजों पर किया जा सकता है। कीटनाशकों से युक्त मच्छरदानी मच्छरों के काटने से बचाने में उपयोगी होती हैं।कीमोप्रोफिलैक्सिस : दक्षिण अफ्रीका और आसपास के देशों में मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा करने वाले यात्रियों को उचित कीमोप्रोफिलैक्सिस लेने की सलाह दी जाती है।